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नवल किशोर कुमार
सुप्रिया सुले से उम्मीद (डायरी 27 मई, 2022)
औरतें मर्दों से अलग हैं। यह कोई कहने की बात नहीं है। लेकिन दोनों इंसान हैं और समान तरह के अधिकार और सम्मान के...
सुप्रीम कोर्ट की नीयत में खोट- संदर्भ : बथानी टोला नरसंहार (डायरी 23 मई, 2022)
निस्संदेह देश जब विभाजत हुआ था तब बहुत कुछ हुआ। इस संबंध में खूब सारा साहित्य उपलब्ध है। दोनों तरफ के लोगों को परेशानियां...
महिलाओं के संबंध में खुसरो, पेरियार और डॉ. आंबेडकर के विचार (डायरी 8 मार्च, 2022)
कल उत्तर प्रदेश में आखिरी चरण के मतदान समाप्त हो गए। शाम होते ही एक्जिट पोल के नतीजे भी सामने आए। नतीजे दो दिन...
दस मार्च के परिणाम का संभावित असर (डायरी 7 मार्च, 2022)
सूचनाओं के निहितार्थ भी कमाल के होते हैं और हर सूचना के पीछे समाजशास्त्रीय पृष्ठभूमि होती है। ये सूचनाएं आज के समय में कितनी...
गालियाँ देने से कोई ताकतवर नहीं हो जाता (डायरी- 20 जनवरी, 2022)
यह केवल भारत की बात नहीं है। हालांकि भारत में यह कुछ ज्यादा ही है कि लोग जब भी किसी को गालियाँ देते हैं...
विकलांग नागरिकों के लिए डायरी (19 सितंबर, 2021)
सबसे अधिक कमजोर कौन है? क्या वह व्यक्ति सबसे अधिक कमजोर है जो विकलांग है? क्या वह व्यक्ति सबसे कमजोर है जो सबसे गरीब...
नायकों के लिए मानदंड डायरी (18 सितंबर, 2021)
पटना स्थित घर के बाहर बथानी का छप्पर गिर जाने और उसके नीचे मेरी मोटरसाइकिल के दब जाने की सूचना मिली। यह बथानी 1980...
हादसा और सरकारी तंत्र की असंवेदनशीलता डायरी (16 सितंबर, 2021)
देश में लोकतंत्र है और अब यह देश वह देश नहीं है जो अंग्रेजों के समय था। देश में एक संविधान है और यह...
ये दृश्य बेहद सामान्य हैं, लेकिन हम नजरअंदाज नहीं कर सकते डायरी (15 सितंबर, 2021)
बात कल की ही है। हालांकि यह ऐसी कोई बात नहीं है जो पहले मेरी जेहन में नहीं आयी हो। लेकिन जब दो बातें...
दिल्ली, तुम्हारी निगाहें बहुत बोलती हैं डायरी (14 सितंबर, 2021)
दिल्ली इन दिनों बहुत परेशान है। इसकी परेशानी का आलम यह है कि यहां के राजपथ पर हुक्मरानों की आवाजाही बढ़ गई है। हालांकि...
‘लागा चुनरी में दाग’ और ‘लागल जोबनवा में चोट ‘डायरी (13 सितंबर, 2021)
स्त्रियों के विषय में स्पष्टवादी लेखिकाओं में नीलिमा चौहान बेहद खास हैं। वह ऑफिशियली पतनशील की लेखिका भी हैं। उनके विचार और शब्दों का...
क्रूरता : सब जग देखा एक समाना डायरी (11 सितंबर, 2021)
बरसों बाद एक परेशानी फिर से परेशान कर रही है। मैं इसे बीमारी नहीं कहता। हालांकि मेरे चिकित्सक इसे एक बीमारी की संज्ञा देते...
शब्द और परिस्थितियों में अंतर्संबंध डायरी (10 सितम्बर,2021)
जीवन में संयोग जैसा कुछ होता है, इसमें यकीन नहीं है। अलबत्ता कुछ खास कारणों से कुछ खास परिस्थितियां जरूर बन जाती हैं और...
हिंदू धर्म का पाखंड केवल दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों के लिए है डायरी (7 सितम्बर, 2021)
ब्राह्मणवाद का मूल आधार ही पाखंड है। मुट्ठी भर लोगों का समाज के हर क्षेत्र में वर्चस्व बनाए रखना इसका मुख्य उद्देश्य। पाखंड किस...
आंदोलन नहीं, क्रांति कर रहे हैं भारतीय किसान डायरी (6 सितंबर,2021)
जाति व्यवस्था भारतीय समाज की कड़वी सच्चाई है और इसे कायम रखने में व्यापारी वर्ग के लोगों के साथ ही उच्च जातियों की बड़ी...
जगदेव प्रसाद की हत्या से जुड़ा एक दस्तावेज, जिसे गायब कर दिया गया डायरी (5 सितम्बर,2021)
कल फिर एक तथाकथित महान पुरूष ने मीडिया और जाति का सवाल छेड़ दिया। खुद को दलित वैचारिकी का स्तंभ माननेवाले इस महान पुरूष...
नाम, समाज और महिलाओं के सवाल(डायरी 4 सितम्बर,2021)
बचपन से ही नामों को लेकर बड़ा कंफ्यूजन रहा है। मेरे जेहन में अक्सर यह बात रहती रही है कि नामों का निर्धारण कैसे...
शब्द, सत्ता, सरोकार और राजेंद्र यादव डायरी (30 अगस्त, 2021)
शब्द और सत्ता के बीच प्रत्यक्ष संबंध होता है। यह मेरी अवधारणा है। शब्द होते भी दो तरह के हैं। एक वे शब्द जो...
जो बाजी ओहि बाची डायरी (28 अगस्त, 2021)
कोई भी बदलाव एकवचन में नहीं होता। जब कुछ बदलता है तो उसके साथ बहुत कुछ बदल जाते हैं। ऐसा कभी नहीं होता कि...
गंदे नालों में होनेवाली मौतें इतिहास का हिस्सा नहीं डायरी (27 अगस्त, 2021)
देश में सरकारों का स्वरूप बदल रहा है। स्वरूप बदलने का मतलब यह कि अब इस देश में सरकारें लोककल्याण को तिलांजलि देने लगी...